बस्तर जिले के थाना बड़ान्जी अंतर्गत गांव बड़े परोदा मे मजबूर बेबस बुजुर्ग, नाबालिक बच्चे व महिलाओ को धर्म आधारीत जानवरों जैसा मारा पीटा गया, एक का टुटा टांग, पर भाजपा राम राज मे, अभी तक पीड़ितों को नहीं मिला न्याय, कानून व्यवस्था हुवा खराब, जिम्मेदार मौन - नरेन्द्र भवानी /छ. ग.यु. म.

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प्रेस विज्ञप्ति
बस्तर जिले के थाना बड़ान्जी अंतर्गत गांव बड़े परोदा मे मजबूर बेबस बुजुर्ग, नाबालिक बच्चे व महिलाओ को धर्म आधारीत जानवरों जैसा मारा पीटा गया, एक का टुटा टांग, पर भाजपा राम राज मे, अभी तक पीड़ितों को नहीं मिला न्याय, कानून व्यवस्था हुवा खराब, जिम्मेदार मौन - नरेन्द्र भवानी /छ. ग.यु. म.

बड़े परोदा मसीही मानने वालों का लाखों के लूट चुके फसल, अब इस वर्ष भी नहीं हो पायेगा खेत, होगा दुबारा लाखों का नुकसान, पैर तोड़ा गया मार मार के अब तक चल रहा इलाज, पुरे परिवार अभी तक अपने गांव घर से है बहार, बस्तर के कानून लोकतंत्र मील कर मान सम्मान सब ख़त्म करने मे नहीं छोड़े कोई कसर, अब न्याय नहीं तो भैंकर रूप से करेंगे आंदोलन, जिसका सम्पूर्ण जिम्मेदारी होगी जिला प्राशासन की, मौलिक अधिकारो के हनन जैसे घटना का करते है हम निंदा - नरेन्द्र भवानी / छ. ग. यु. म.

मामले मे छत्तीसगढ़ युवा मंच के संस्थापक नरेन्द्र भवानी नें बयान जारी कर कहा है की,छत्तीसगढ़  बस्तर जिले के अंतर्गत लोहाण्डीगुडा ब्लॉक बडांजी पुलिस स्टेशन  के बड़े परोदा गांव में 7 परिवारों के मसीही विश्वास करने वालों का एक छोटा समूह है। उनमें से अधिकांश के साथ 31 मई, 2023 से ऐसी मार पिट की घटना घटते जा रही है, दूर व्यवहार किया रहा था,उनमें से कई को पीटा गया और धमकी दी गई कि अगर उन्होंने मसीह का इन्कार नहीं किया तो वे गाँव से भगा देंगे ।और वर्ष 2023 में, स्थानीय सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ पंचायत के पूरे समर्थन से, उनकी 40 एकड़ से अधिक की धान और मकई की खेती, जिसकी कीमत 22.5 लाख रुपये से अधिक थी, लूट ली गई आज तक उस फसलों का कोई मुवाआवजा नहीं दिया गया यह कैसा कृत्य शर्म आनी चाहिए जिम्मेदार अधिकारियों को एवं । इस वर्ष उनके खेतों की दीवारें तोड़ दी गईं,और मसीही विश्वास करने वालो के खेतों में मवेशियों को खुला छोड़ देने से उनकी ग्रीष्मकालीन मकई की खेती भी नष्ट हो गई। उन्हें अपने मृतकों को दफनाने की अनुमति नहीं थी।बार-बार याचिका दायर करने के बाद भी अधिकारियों द्वारा अब तक कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई।

वही भवानी नें आगे कहा है की दिनांक 12/6/24 को 4 आस्तिक परिवारों के सदस्य अर्थात भाई. शोभा, उनके बेटे ललित, बहन। सुमित्रा मंडावी, उनका बेटा सोंधार और बेटी खेमेश्वरी, भाई, गोविंद और उनकी पत्नी पुसो, उनका बेटा पूरन और भाई। मानसिंह पुत्र सोमारू मंडावी को बेरहमी से पीटा गया। उन्हें पीटा गया और पंचायत कार्यालय तक खदेड़ा गया, कुछ को उनके धान के खेतों से जबकि कुछ को उनके घरों से। सुमित्रा मंडावी और गोविंद बेहोश हो गए। फिर भी जुल्म करने वालों ने उन्हें नहीं छोड़ा. उनके परिवार के सदस्यों, शोभा की पत्नी जमुनी, मानसिंह की मां बुधनी, और उनकी पत्नी बसंती और उनके 6 और 2 साल के बच्चों को भी जबरदस्ती पंचायत कार्यालय ले जाया गया। वे घर पर केवल मानसिंह के भाई जोगंद्र को छोड़ गए, जो लाइनमैन था, और बिजली के खंभे से गिरकर विकलांग हो गया था। मैं स्वयं खुद बहन सुमित्रा मंडावी, उनके बेटे सोंदर और ललित (शोभा के बेटे) लोहाण्डीगुडा अस्पताल में भर्ती किये गए पुलिस द्वारा मै खुद पीड़ितों से मुलाक़ात उसी घटना के बिच जाके किया बहुत बुरा हाल था इनका अस्पताल मे ! ग्रामीण आस्थावानों से अपनी पिछली मान्यताओं (घर वापसी) पर वापस आने और उत्पीड़न की पिछली घटनाओं में उनके खिलाफ दायर सभी मामलों को वापस लेने की मांग कर रहे है यह कैसा तालीबानी दबाव । और जब विश्वासियों को पंचायत कार्यालय से रिहा किया गया, तो उन्हें इन मांगों को मानने के लिए 10 दिनों का अल्टीमेटम दिया गया, अन्यथा परिणाम भुगतने की धमकी दी गई। हालाँकि संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को धर्म की स्वतंत्रता और समानता देता है, यहाँ अधिकारी विश्वासियों के उत्पीड़न के प्रति मूक और बहरे बने हुए हैं !

आगे भवानी नें कहा है लगातार ऐसी घटना उस परिवार के साथ उसी गांव मे घट रही है, लगभग सभी घटनाओ का लिखित आवेदन थाने मे, कलेक्टड मे, पुलिस अधिक्षक कार्यलय मे हर जिम्मेदार अधिकारियों के टेबल मे दिया गया किन्तु कोई कार्यवाही नहीं किया गया और फिर यह घटना घटी पिछले साल भर पहले जो लोग ऐसी सभी घटना मे शामिल थे आज 12 जून 2024 को घटी घटना मे भी वही सब शामिल, किसी को कानून पुलिस का कोई डर नहीं, जिम्मेदारी अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी से भागना ही शायद अपना डियूटी समझते है, ऐसी परिस्थिति निर्मित लगातार हो रही है और माहौल बिगड रहा है, आज माहौल ऐसा है की यह पूरा परिवार गांव से बहार है, एक का टांग टूट गया है, अस्पताल मे इलाज चल रहा है, और अभी खेती का समय है, और सब के सब घर गांव से बहार है, शायद अब यह लोग खेती भी ना कर पाए, ऐसी स्थिति मे इनका मौलिक अधिकारो हनन चौतरफ़ा किया जा रहा है, जिसमे भाजपा सरकार मौन है, सम्बंधित अधिकारी केवल मुख दर्शक है, इनका पिछले साल भी फसल लुटकर लाखों का नुकसान किये और इस वर्ष खेत करने नहीं देने का माहौल बना लगभग इस बार भी इनका खेती फसल का लाखों का नुकसान होने वाला है, इतना बड़ा घटना सामने आ रहा है और कोई अपनी जिम्मेदारी निभाने वाला नहीं आखिर क्यूँ, क्या यही है आजाद भारत देश का लोकतंत्र,

बस्तर संभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपनी संवैधानिक डियूटी जिम्मेदारी निभाए नहीं तो भैंकर तरीका से करूँगा विरोध जिसका जिला प्रशासन कल्पना भी नहीं कर सकता फिर चाहे भले फ़ासी ही क्यूँ ना चढ़ना पड़े, इतना मत सताए किसी शांत रहने वाले लोगो को जब उनका धन खेत घर मान सम्मान सब ख़त्म हो जाएगा तो आख़री रास्ता बचता ही क्या हमें करने के लिए, विषयो को समझें सही मायने मे भाजपा सरकार भी आए सामने और अपने राम राज्य का सही मॉडल के तहत न्याय देने की कृपा करें, अन्यथा सड़क की लड़ाई लड़ने मे हम होंगे मजबूर

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