स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महली भगत का परिवार हो रहा है छत्तीसगढ़ में प्रताड़ित, कुसमी SDM की मनमानी से परेशान पार्षद व सामाजिक कार्यकर्ता सोमनाथ भगत और उनका परिवार

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लोकेशन,कुसमी 

Top news छत्तीसगढ़ रिपोर्टर सादाब अंसारी का

बलरामपुर जिले के कुसमी विकासखंड के SDM करुण डहरिया की मनमानी चरम पर पहुँच गई है ये वही SDM हैं जिन्हें वर्ष 2022 में एंटीकरप्शन ब्यूरो ने 20000 (बीस हजार ) रुपये रिश्वत लेते हुए गरियाबंद से रंगे हाथों गिरफ्तार किया था जेल से छूटने के बाद उन्हें सेवा में वापस बहाली मिली है और बलरामपुर जिले में पोस्टिंग की गई है इस अधिकारी को सरकार ने भ्र्ष्टाचार में लिप्त होने की वजह से इन्हें निलंबित किया गया था अब बहाली के बाद कुसमी SDM बन कर एक बार फिर से विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं इस बार इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महली भगत के बेटे सोमनाथ भगत व उनके परिवार का अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है और उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं सोमनाथ भगत की गलती सिर्फ इतनी है कि इन्होंने शासकीय जमीन के अवैध बिक्री पर रोक लगाने की शिकायत की थी उसके बाद से सोमनाथ भगत जी की असली परेशानियां शुरू हो गई हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में जब एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार प्रताड़ित हो रहा है फिर आम जनता का क्या हाल होगा ये सोचने वाली बात है इसलिए आजाद जनता पार्टी के अध्यक्ष उज्जवल दीवान ने सोमनाथ भगत और उनके परिवार को न्याय दिलाने के लिए उनके साथ खड़े हो गए हैं और मोर्चा संभाल लिया है और उज्जवल दीवान ने छत्तीसगढ़ की साय  सरकार से सवाल किया है कि क्या छत्तीसगढ़ सरकार भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी से और ज्यादा भ्र्ष्टाचार करवाने के लिए ही उन्हें SDM बनाया गया है या भाजपा की साय सरकार अपने वादों के अनुसार भ्रष्टाचारी अधिकारी को मुख्यालय भेजेगी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महली भगत के परिवार के साथ न्याय करेगी।



महली भगत का जीवन परिचय: सबसे पहले बात करते हैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महली भगत का. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महली भगत का जन्म 1 जनवरी 1914 में बिहार के रांची जिला अन्तर्गत घाघरा थाना के गुनिया ग्राम के एक गरीब किसान परिवार में हुआ था. पिता लोहरा उरांव और माता किसी बाई थी. ये चार बेटों में सबसे छोटे थे. इनकी प्राथमिक शिक्षा ग्राम गुनिया में और माध्यमिक शिक्षा सन 1930 में मिशन इंग्लिश मीडियम स्कूल लोहरदगा से पूरी हुई. बचपन में ही पिता की मौत और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख सके. घर पर ही खेती कार्य में जुड़ गए. एक समय आया जब इन्होंने 16 साल की उम्र में घर छोड़ दिया और आजादी की लड़ाई में शामिल होकर देश को आजाद करने में जुट गए.


महात्मा गांधी को हाथों से कपड़ा बनाकर दिया: 22 सितम्बर 1925 में अखिल भारतीय चरखा संघ की स्थापना हुई. इसके बाद चारों तरफ चरखा प्रशिक्षण केन्द्र खुलने लगे. चरखे से लोग जुड़कर आत्मनिर्भर और स्वतन्त्रता संग्राम के लिए प्रेरित होने लगे. ऐसे ही जनजातीय समुदाय के एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महली भगत थे. वे महात्मा गांधी के राष्ट्रीय आन्दोलन और जतरा उरांव के ताना भगत आंदोलन से काफी प्रभावित थे. वे महात्मा गांधी के सहयोग से चरखा प्रशिक्षण केंद्र गये और आजादी की लड़ाई में शामिल होकर देश को आजाद कराने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई.


शासकीय कालेज कुसमी का नाम भी स्वतंत्रता सेनानी महली भगत के नाम पर है

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