मनरेगा को निरस्त कर गांधी को जनमानस से मिटाने की साजिश : राजेश तिवारी

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कांकेर।

केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने के प्रस्ताव के विरोध में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर जिला कांग्रेस कमेटी ने पुराना बस स्टैंड, कांकेर में एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेताओं ने इसे गांधी-विरोधी मानसिकता और गरीब–मजदूर विरोधी कदम करार दिया।


धरना को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव राजेश तिवारी ने कहा कि मनरेगा किसी सरकार की योजना नहीं, बल्कि जनआंदोलन की कोख से जन्मा कानून है, जिसने ग्रामीण भारत को 100 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी दी। इस कानून ने महिलाओं, भूमिहीनों और गरीबों को सशक्त बनाया तथा श्रम की गरिमा को स्थापित किया। उन्होंने कहा कि 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने पलायन रोकने और गांवों के विकास के लिए इसी गांव में रोजगार की गारंटी दी थी, लेकिन भाजपा सरकार पंचायतों के अधिकार छीन रही है।



प्रदेश उपाध्यक्ष बिरेश ठाकुर ने कहा कि यह केवल नाम बदलने का मामला नहीं, बल्कि मनरेगा को कमजोर कर खत्म करने की साजिश है। विदेशों में बापू को श्रद्धांजलि देना और देश में उनके नाम व विचारों पर प्रहार करना भाजपा की दोहरी राजनीति को दर्शाता है। कांग्रेस इस गरीब-विरोधी फैसले का सड़क से संसद तक विरोध करेगी।


जिला कांग्रेस अध्यक्ष बसंत यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा गोडसे की महिमा मंडन की राजनीति के तहत गांधी की स्मृति को कमजोर करना चाहती है, लेकिन गांधी को देश की चेतना से अलग नहीं किया जा सकता। नया विधेयक रोजगार की कानूनी गारंटी और समय पर भुगतान की व्यवस्था को समाप्त कर केंद्र नियंत्रित योजना थोपना चाहता है।


धरना-प्रदर्शन को नितिन पोटाई, सुभद्रा सलाम, जनकनंदन कश्यप, तरेंद्र भंडारी, नवली मीना मंडावी, रोमनाथ जैन सहित अन्य नेताओं ने संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन लोमेंद्र यादव ने किया।

धरने में कांग्रेस के प्रदेश, जिला और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारी व बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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