हुवे ग्राम सभा प्रस्ताव आदेश पर करें जांच, नहीं तो 1 अप्रेल को करेंगे संविधान बचाओ आंदोलन - नरेन्द्र भवानी / छत्तीसगढ़ युवा मंच*
*प्रेस विज्ञप्ति*
*ग्राम पंचायत बेलर मे ग्राम सभा प्रस्ताव आदेश पारित कर गांव के विशेष धर्म मानने वाले लोगो का मौलिक अधिकारो का हनन करने का किया गया है प्रयास, अनुविभागीय डंडाधिकारी लोहाण्डीगुडा, हुवे ग्राम सभा प्रस्ताव आदेश पर करें जांच, नहीं तो 1 अप्रेल को करेंगे संविधान बचाओ आंदोलन - नरेन्द्र भवानी / छत्तीसगढ़ युवा मंच*
*1 अप्रेल 2024 को करूँगा, बस्तर जिला के,ब्लॉक लोहाण्डीगुडा मे संविधान बचाओ एक दिवसीय धरना प्रदर्शन, अगर बेलर और टाकरागुडा मे हुवे ग्राम सभा के आदेश फरमान पर जांच कर लोगो का मौलिक का सुरक्षा नहीं किया गया तो, सम्पूर्ण जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी - नरेन्द्र भवानी / छत्तीसगढ़ युवा मंच*
*संविधान के अनुच्छेद को गलत तरीका से तोड़मरोड़ के किया गया आदेश जारी,गांव के कई लोगो का व्यवसाय रोजगार बन भूखे मरने की स्थिति हुई निर्मित, हुवे जारी आदेश पर तत्काल जांच कर कार्यवाही करने का कदम उठाए, अनुविभागीय डंडाधिकारी लोहाण्डीगुडा, नहीं तो पीड़ितों के साथ होगा संवैधानिक हक अधिकार का आंदोलन धरना प्रदर्शन - नरेन्द्र भवानी / छत्तीसगढ़ युवा मंच*
*मामले मे छत्तीसगढ़ युवा मंच के संस्थापक नरेन्द्र भवानी ने बयान जारी कर बताया है की आज ग्राम पंचायत बेलर और टाकरागुडा कई सारे लोग कार्यालय पहुँच बेहद ही गंभीर विषय पर न्याय हेतु अपनी अत्याचार पर आप बीती बातों को बताए एवं न्याय दिलाने की बात को कहते हुवे आवेदन दिया गया छ. यु. म. संस्थापक भवानी ने आस्वस्त करते हुवे कहा की संविधान की रक्षा करना एवं पीड़ित लोगो को उनका संवैधानिक अधिकार दिलाना ही मेरे पहली प्राथमिकता*
*भवानी आगे कहा है की ग्राम सभा प्रस्ताव /आदेश मे,उक्त भारतीय संविधान अनुच्छेदों का उल्लेख कर,ग्राम पंचायत बेलर और ग्राम पंचायत टाकरागुडा के उपरोक्त पत्र अनुसार जिम्मेदार लोग गांव के आम नागरिको का मौलिक अधिकारो का हनन करते हुवे, पांरपारिक ग्राम सभा का नाम उल्लेख करते हुवे, ग्राम सभा कर प्रस्ताव पारित का आदेश जारी करके स्वतः ही उपरोक्त पत्र अनुसार उल्लेख भारतीय संविधान का ऊन कंडीकाओ का उल्लंघ्न कर उसी गांव के विशेष धर्म को मानने वाले आम लोगो को डरा के गैर नियमानुसार यह आदेश को जारी किया गया, यह जांच का विषय है जारी हुवा आदेश कॉपी अनुसार हो तत्काल जांच नहीं तो होगा संविधान बचाओ एक दिवसीय धरना प्रदर्शन*
*मामले मे तत्काल नियमानुसार जांच कर कार्यवाही की जानी चाहिए, जिससे किसी भी हाल मे किसी भी भारतीय नागरिक होने के नाते, किसी भी धर्म, जात के लोगो का मौलिक अधिकारो हनन नहीं होना चाहिए !*
*भवानी ने आगे कहा है की जबकि यह लोग या इनके पीछे षड्यंत्र कारी लोगो द्वारा - ऐसी ग्राम सभा कर भारतीय संवीधान के अनुच्छेदों को तोड़मरोड़ के ग्राम सभा प्रस्ताव पारित कर सीधे आदेश जारी करके, बाकि आम लोगो का मौलिक अधिकारो को कुचलने का प्रयास है, जिसपर जांच कर कार्यवाही होना ही चाहिए !*
*भवानी ने कहा है की ये जो ग्राम सभा में बता रहे है ! उपरोक्त पत्र अनुसार अनुच्छेद 13(3) क और 244 (1) एवं अन्य बातें इस प्रकार है*
1. भारत का संविधान अनुच्छेद-13 (3) (क) के तहत रूढ़ि या प्रथा विधि का बल है, यानि संविधान है।
2.पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में कोई बाहरी गैर रूढ़ि प्रथा व्यक्तियों को स्वतंत्र रूप से भ्रमण करता, निवास करता, बस जाना, घूमना वर्जित करता है।
3. भारत का संविधान के तहत कोई भी बाहरी व्यक्तियों को पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में व्यवसाय, कारोबार, रोजगार पर प्रतिबंध है।
4. पांचवीं अनुसूची जिलों या क्षेत्रों में भारत का संविधान अनुच्छेद 244(1) के तहत सांसद या विधान मंडल का कोई भी कानून लागू नहीं।
*एवं अन्य बातें जो उल्लेख है उपरोक्त पत्र मे शामिल है जिसे इस आवेदन मे सलग्न किया गया है!*
*भवानी ने कहा है की ऐसे बातों पर चर्चा कर खुल्लम खुल्ला भारतीय संविधान का मजाक बनाया जा रहा है,और यह गैर संवैधानिक पत्र नियम विरुद्ध पत्र आदेश जारी करके बकायदा उच्च अधिकारियों को एड करके भेजा जा रहा है, जो बेहद गंभीर विषय है, जांच कर कार्यवाही करने का करें कष्ट*
*भवानी ने बताया है की जो हमारे भारतीय संविधान में दर्ज है, वह इस प्रकार है !*
1. किसी राज्य या स्थान विशेष में अगर पशु की बलि देने की प्रथा या रूढ़ि है,तो यह भारतीय कानून के अनुसार दंडनीय अपराध है। संविधान के मुताबिक ऐसी कोई भी प्रथा या रूढ़ि सर्वोच्च नहीं है।
2. अनुच्छेद 19-5 के उपखंड घ और ड में कहा है,कि नागरिकों को भारत के राज्य क्षेत्र में बिना किसी बाधा के आने-जाने, निवास करने, बसने का अधिकार है। इसमें यह नहीं है कि अनुसूचित क्षेत्रों में गैर अनुसूचित लोग भ्रमण नहीं कर सकते या बस नहीं सकते हैं।
3. अनुच्छेद 19-6 उक्त खंड के उपखंड-छ में सभी नागरिकों को कोई भी पेशा, व्यापार, रोजगार करने, उपजीविका चलाने का अधिकार है। इस प्रावधान में अनुसूचित जाति का उल्लेख नहीं है,बल्कि साधार जनता का उल्लेख है। गैर अनुसूचित जनजाति को अनुसूचित क्षेत्रों में पेशा करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
4. संविधान की 5वीं अनुसूची आसाम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम को छोड़कर अन्य राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों, अनुसूचित जातियों के प्रशासन व नियंत्रण के बारे में प्रावधान है। अनसूची के पैरा 2 के अनुसार किसी राज्य में कार्यपालिका शक्ति का विस्तार अनुसूचित क्षेत्रों पर इस अनुबंध में दिए प्रावधानों के अनुसार होगा।
*भवानी ने कहा की यह हमारे भारत के सुन्दर संविधान का छोटा सा कंडीकाओ के साथ उदाहरण है, बावजूद उपरोक्त पत्र पर आदेश जारी कर गलत तरीको से गांव मे रह रहें, मसीही ईसाई मानने वाले आदिवासी अथवा गैर आदिवासी साथियों को डराकर, गलत नियम बता कर, उच्च पद का गलत फायदा उठाकर, इनका मौलिक अधिकारो का हनन किया जा रहा है, इन्हे गांव से बहिष्कार करने जैसा कार्य किया जा रहा है, गांव के नल बोरिंग तालाब के स्तेमाल पर रोक लगाने का कार्य किया जा रहा है, यह लोग जो पीढ़ी दर पीढ़ी या वर्ष दर वर्षो से चल रहें सब्जी बेचने का, दूकान चलाने का, गाडी ट्रांसपोट काम का एवं अन्य काम का व्यवसाय करते आ रहें है, किन्तु अब यह सब काम बंद करने का आदेश जारी कर भूखे मरने की स्थिति निर्मित कर दिया गया है जो गंभीर विषय है!जो लोग ईसाई मसीही मान रहें है उन्हें चुन चुन के गांव मे जीस भी संस्था अथवा सरकारी जगह पर वर्षो से कार्यरत है उन्हें वहां काम / नौकरी करने तक नहीं दिया जा रहा है, ऐसे मे यह लोगो के पास भूखे मरने की स्थिति बन जायेगी, जो किसी भी समाज हित मे सही नहीं होता है,मामले मे छत्तीसगढ़ युवा मंच मांग करती है की हुवे ग्राम सभा मे आदेश पारित के निर्णय पर नियमानुसार जांच करके यह षड्यंत्र के पीछे कौन है जांच किया जावे कार्यवाही की जावे, तत्काल मामले को संज्ञान मे लेते हुवे परेशान सैकड़ो ग्रामीण जिनके विरुद्ध यह फैसला लिया गया है रद करवाया जाए अगर यह आदेश सही है नियमानुसार है तो सजा हो दीजिये मै सजा भुगतने को हु त्यार*
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