भ्रस्ट अधिकारी,तानाशाह ठेकेदार आदिवासी विकास-खंड कुसमी के मंडी प्रांगण में चल रहे निर्माण कार्य में भारी भ्रष्टाचार.

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रिपोर्टर सादाब अंसारी 

 बलरामपुर जिले के आदिवासी विकासखंड कुसमी अंतर्गत स्थित मंडी प्रांगण में स्थानीय नागरिकों एवं जनप्रतिनिधियों के मांग के अनुरूप शासन के द्वारा मंडी प्रांगण के विकास एवं विस्तार हेतु करोड़ों रुपए प्रदाय किए गए हैं विभाग  के द्वारा नियमानुसार निविदा प्रपत्र आमंत्रित किया गया एवं निविदाकार के माध्यम से निर्माण कार्य कराया जा रहा है किंतु निर्माण कार्य में संबंधित इंजीनियर एवं एस.डी.ओ. के द्वारा ठेकेदार से मिली भगत कर लाखों रुपए का बंदर बांट किया जा रहा है, निर्माणकार्य की गुणवत्ता अत्यंत ही कमजोर है, निर्माण कार्य में सस्ते दर से प्राप्त ईटों का प्रयोग किया जा रहा है सही मायने में माने तो अगर पारदर्शिता के साथ प्रयुक्त हुए ईट का लैब टेस्टिंग हो तो वह प्रथम दृष्टि में ही मानक अनुरूप साबित नहीं होगा या सीधी सी बात यह कहा जा सकता है की घटिया एवं बाजार से सस्ते मिलने वाले ईंटों का प्रयोग किया गया है जो की लैब टेस्ट में फेल हो जाएगा फिर भी अभी तक सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी मांगने पर  विभाग के द्वारा चाहि जानकारी नहीं प्रदाय किया गया है कि कौन से विभाग से लैब टेस्ट हुआ है. आलम तो यह है कि निर्माणाधीन शेड में अभी से ही बोल्ड कास्टिंग के उपरांत कॉलम में दरारें  लोकल सरिया के प्रयोग करने से आ गई है जहाँ उसके ऊपर अभी तक शेड भी नहीं लगाया है शेड लगने के बाद कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है आखिर उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ठेकेदार या संबंधित विभाग? जब मीडिया को इसकी जानकारी मिली तो ठेकेदार के द्वारा कलाम की लीपापोती प्रारंभ कर दी,विभाग के द्वारा मंडी प्रांगण कुसमी में कहीं भी सूचना पटल नहीं लगाया गया है, कहीं भी निर्माण कार्य की कुल लागत राशि, संबंधित अधिकारियों का नाम, मोबाईल नंबर,समयावधि उल्लेखित नहीं किया गया है जिससे यह स्पष्ट उल्लेखित होता है कि निर्माण कार्य में विभाग के द्वारा पारदर्शिता नहीं बरती गई है,आम नागरिकों को जानकारी से दूर रखा गया है,वहीं बिना कोर कटिंग  ठेकेदार को सी.सी.सड़क निर्माण कार्य का भुगतान कर दिया गया है कोर कटिंग के संबंध में संबंधित एस.डी.ओ. जयपाल सिंह कंवर से जब जानकारी चाहा गया तो उनके द्वारा बताया गया की कोर कटिंग हुई है लेकिन पूरे सी.सी. सड़क में कहीं भी एक भी कोर कटिंग का  निशान /गड्ढा नहीं दिखाई पड़ता है lलगभग 4 करोड़ रुपए के निर्माण कार्य में कोई भी टेक्निकल इंजीनियर निर्माण स्थल में ठेकेदार के द्वारा  नहीं रखा गया है ना ही स्थल पर किसी प्रकार का कोई लैब या क्यूब नियमानुसार नहीं बनाया गया है. निर्धारित समय अनुसार ठेकेदार के द्वारा अभी तक निर्माण कार्य पूर्ण नहीं किया गया है एवं अभी तक विभाग के द्वारा भी समय वृद्धि प्रदान नहीं की गई है अब देखना यह होगा कि विभाग के द्वारा ठेकेदार को समय वृद्धि के लिए धारा 2 या धारा 5 में उन्हें समृद्धि प्रदान की जाती है यदि धारा 2 में समय वृद्धि प्रदान की जाती है तो नियम अनुसार ठेकेदार के संपूर्ण निर्माण कार्य की लागत का 6% कटौति कर ठेकेदार को भुगतान किया जाएगा और यदि धारा 5 में समय वृद्धि अनुशंसा की जाती है तो ठेकेदार को लगभग 3 माह का समय वृद्धि दिया जा सकता है लेकिन  ठेकेदार के द्वारा क्या कारण बता कर समय वृद्धि की मांगी की जा रही है एवं समय वृद्धि हेतु क्या सही कारण उल्लेखित किया जा रहा है अब देखना यह होगा की विभाग के द्वारा सोच विचार कर उल्लिखित ठेकेदार के टिप्पणियों पर गंभीरता पूर्व विचार करते हुए कौन सी धारा पर उन्हें समृद्धि प्रदान की जा रही है.


 "विभाग ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 का बनाया मजाक अभी तक नहीं दी जानकारी" - विभाग के द्वारा विगत एक माह पूर्व  संबंधित निर्माण कार्य की  सम्पूर्ण जानकारी क्रम अनुसार मांगी गई थी लेकिन विभाग के द्वारा अभी तक आवेदन कर्ता को ना तो अभिलेख शुल्क हेतु अपना अभिमत  दिया गया है ना तो किसी प्रकार की कोई भी जानकारी दी गई है,क्या किसी भी जानकारी के लिए आवेदक को प्रथम अपिलीय अधिकारी के पास जाना ही उचित होगा? इस कार्यालय द्वारा भारत सरकार द्वारा बनाए गए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का स्पष्ट रूप से माखोल उड़ाया जाना यहां पर प्रदर्शित हो रहा है. 

 अगर अभी भी विभाग के द्वारा ठेकेदार पर शक्ति से कार्यवाही नहीं की गई तो शासन के लाखों रुपयों पर पानी फिरता नजर आ रहा है एवं बहु प्रतीक्षित किसानों की  महत्वाकांक्षी योजनाएं धरातल पर जस की तरह पड़ी रह जाएंगे वहीं धान बेचने आये किसानों ने संबंधित विभाग के उच्च अधिकारियों सहित कलेक्टर एवं राज्यपाल के मुख्य सचिव सी. आर. प्रसन्ना से हो रहे निर्माण कार्य की जांच हेतु मांग की है.

आकाश रात्रे ( उप - अभियंता )- जो दरारें आई हैं मुझे उसके बारे में तो जानकारी नहीं है आप फोटो भेज दीजिए मैं लिखवा लेता हूं.

जय पाल सिंह कवर ( ए. ई.)  क्यों छापा -छापी कर रहे हैं आखिर मुझसे क्या गलती हो गई है मैं तो बोला था कि आकर मिल लीजिएगा फिर भी आप नहीं आए ऐसा मत कीजिए आखिर क्या हो गया है आपको मेरे से.

तोबियस टोप्पो-  ( कार्यपालन अभियंता ) आपको उच्च अधिकारियों से शिकायत करने की इतनी जल्दी पड़ी हुई है आपसे तो मैं पहली बार बात कर रहा हूं अगर ऊपर शिकायत कर ही दिए हो तो फिर आपसे क्या बात करना है. 

प्रेम लाल पटेल (रायपुर मुख्य कार्यालय कार्यपालन अभियंता ) - लैब वगैरा बनाना नियम मे तो है लेकिन ठेकेदार द्वारा नहीं किया गया है ना तो सुचना बोर्ड लगाया है यह गलत है  मै दिखवाता हूँ. इस संबंध में अधीक्षण अभियंता अशोक कुमार डोडवानी से फोन में संपर्क नहीं हो पाया.

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