भानुप्रतापपुर: निजी अस्पताल में स्वास्थ्य से खिलवाड़, खुले में जल रहे हैं ,बायो-मेडिकल कचरा

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*TOP NEWS छत्तीसगढ़ भानुप्रतापपुर से संतोष बाजपेयी की रिपोर्ट*


*भानुप्रतापपुर*

 भानुप्रतापपुर नगर का नामी निजी अस्पताल गौतम हॉस्पिटल अब इलाज के लिए नहीं, बल्कि लापरवाही, गंदगी और नियमों की खुलेआम हत्या के लिए पहचाना जा रहा है। अस्पताल परिसर में जो हो रहा है, वह न केवल स्वास्थ्य नियमों का मज़ाक है, बल्कि मरीजों की ज़िंदगी से सीधा खिलवाड़ है। बायो-मेडिकल वेस्ट को खुले में जलाकर पूरे इलाके को ज़हरीली गैस चैंबर में तब्दील किया जा रहा है।

*जहाँ बनता है खाना, वहीं जलता है मेडिकल ज़हर*

सबसे शर्मनाक तस्वीर यह है कि जिस जगह मरीजों के परिजन खाना बनाते हैं और जहाँ अस्पताल की कैंटीन संचालित होती है, उसी के चंद कदमों पर लेबर रूम से निकला मेडिकल कचरा आग के हवाले किया जा रहा है। जलते कचरे से उठता काला धुआं, बदबू और जहरीली गैसें लोगों की सांसों में ज़हर घोल रही हैं। परिजनों का कहना है कि यह कोई एक दिन की घटना नहीं, बल्कि यहाँ का रोज़ का ‘नियम’ बन चुका है।

*संक्रमण फैले तो जिम्मेदार कौन?*

स्वास्थ्य विशेषज्ञ साफ कहते हैं कि बायो-मेडिकल कचरे को इस तरह जलाना सीधा आपराधिक कृत्य है। इससे HIV, हेपेटाइटिस, गंभीर संक्रमण और श्वसन रोग फैलने का खतरा रहता है। सवाल यह है कि अगर कल किसी मरीज या नवजात की जान गई, तो जिम्मेदारी कौन लेगा—अस्पताल या चुप बैठा स्वास्थ्य विभाग?

*शौचालय नरक बने, स्टाफ बना खतरा*

अस्पताल की बदहाली यहीं नहीं रुकती। महिला-पुरुष शौचालयों की हालत इतनी बदतर है कि वहाँ जाना मजबूरी बन गया है। गंदगी, बदबू और अव्यवस्था आम बात हो चुकी है। वहीं आरोप है कि अनुभवी नर्सों की जगह नौसिखिए स्टाफ से इंजेक्शन लगवाए जा रहे हैं, जिससे मरीजों और स्टाफ के बीच आए दिन विवाद हो रहा है। मरीजों का कहना है कि अस्पताल कर्मियों का व्यवहार भी असभ्य और अमानवीय है।

*स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी—मिलीभगत या लापरवाही?*

सबसे बड़ा सवाल यही है कि इतनी गंभीर शिकायतों के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं? क्या स्वास्थ्य विभाग किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? या फिर निजी अस्पतालों को खुली छूट दे दी गई है? स्थानीय नागरिकों और मरीजों के परिजनों ने मांग की है कि तत्काल जांच कर अस्पताल को सील किया जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में किसी की जान यूं सरेआम खतरे में न डाली जाए।

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