सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की दुखद आत्महत्या: संविदा शोषण और व्यवस्थागत उपेक्षा का शिकार

0

एक दर्दनाक घटना ने स्वास्थ्य प्रणाली की क्रूर सच्चाई को उजागर किया है। एक समर्पित सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) ने असहनीय व्यक्तिगत और व्यावसायिक दबावों के चलते अपनी जान ले ली। यह त्रासदी केवल एक मौत नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता का चीत्कार है।

वह एक साल के मासूम बच्चे की माँ थी। एक महीने पहले अपने पति को दुर्घटना में खोने के बाद, उसने छुट्टी की गुहार लगाई, मगर उसे ठुकरा दिया गया। अपने घर दुर्ग से दूर, वह अकेले स्वास्थ्य केंद्र में रहकर सेवाएँ देती रही। कोई सहकर्मी नहीं, कोई सहारा नहीं—बस अनगिनत जिम्मेदारियाँ। पति की मृत्यु के बाद केंद्र बंद होने पर भी सुशासन त्योहार में शिकायतें हुईं, और उच्च अधिकारियों ने उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया।


आर्थिक संकट ने उसे और तोड़ा। एक महीने का वेतन, तीन महीने का कार्य आधारित भुगतान, और केंद्र के लिए फंड—सब रुका हुआ। स्थानांतरण की कोशिशें संविदा शोषण की भेंट चढ़ गईं। हाल ही में जारी TOR ने सारा बोझ उस पर डाल दिया, चार लोगों का काम अकेले करने का दबाव दिया। दो-तीन दिन पहले वेतन कटौती की धमकी ने उसकी उम्मीद छीन ली।


यह अकेली कहानी नहीं है। पिछले तीन वर्षों में पाँच CHOs ने कार्य दबाव में जान गँवाई। छत्तीसगढ़ राज्य एन एच एम कर्मचारी संघ तथा सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संघ संयुक्त मांग करता है—उचित कार्यभार, मानसिक स्वास्थ्य सहायता, और संविदा शोषण का अंत। "यह मौत एक माँ की नहीं, पूरी व्यवस्था की हार है," संघ कहता है।

Share this article

Show comments
Hide comments

0 Comments

Post a Comment