कोसागुमडा वालों को न्याय के बदले मिला अन्यायजेएमएफसी न्यायालय की मांग को लेकर आमरण अनशन, बैंक, पेट्रोल पंप, सरकारी-अर्धसरकारी संस्थायें, सभी दुकाने बंद सुबह 6 से शाम के छह बजे तक सड़क पर साइकिल भी बंद

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कोसागुमडा वालों को न्याय के बदले मिला अन्याय
जेएमएफसी न्यायालय की मांग को लेकर आमरण अनशन, बैंक, पेट्रोल पंप, सरकारी-अर्धसरकारी संस्थायें, सभी दुकाने बंद
सुबह 6 से शाम के छह बजे तक सड़क पर साइकिल भी बंद
जगदलपुर।  बस्तर के सरहदी ओडिशा के नबरंगपुर जिले का प्रमुख व्यवसायिक केंद्र ब्लाक मुख्यालय कोसागुमडा में इन दिनों डबल इंजन की सरकार को लेकर उबाल आया हुआ है। यहां के लोगों को भारत बंद से कोई लेना देना ही नहीं था  इसके एक दिन पहले यहां के लोगों ने उनके साथ हुए अन्याय के विरोध में ऐसा हुंकार भरा है कि शाशन प्रशासन के होश फाख्ते हो गए हैं।
मंगलवार 20 अगस्त से कोसागुमडा समेत आसपास के पंचायतों में खेतों में सामान्य कामकाज को छोड़कर सब कुछ ठप पड़ा है। सुबह 6 से शाम 6 बजे तक बारह घँटे का बंद।  बंद का मतलब यह है कि पेट्रोल पंप बंद, बैंक बंद, सभी सरकारी अर्धसरकारी दफ्तर, सभी दुकाने बंद।
यह बंद यहां जेएमएफसी ( न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी) की अदालत की मांग को लेकर हो रहा है और यह कोसागुमडा वासियों का वाजिब हक़ भी है और अपने हक की लड़ाई वे कोसागुमडा विकास परिषद के बैनर तले लड़ रहे हैं। इसके अध्यक्ष सुरेश कुमार पात्र, हरिबंधु मांझी,  गोबर्धन गौड़, लक्ष्मण पुजारी, मधुसूधन भतरा ने बताया कि  ओडिशा सरकार न्याय विभाग ने 29 जुलाई 2017 को कोसागुमडा में जेएमएफसी न्यायालय खोलने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके लिए समस्त प्रक्रिया पूरी की गई, अस्थायी कोर्टरूम का भी निर्माण किया गया, जिसका जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने आकर निरीक्षण भी किया और ओडिशा सरकार के न्याय विभाग को कोसागुमडा में जेएमएफसी न्यायालय खोलने की अनुशंसा भी की, इसी साल एक मई 2024 को तहसीलदार ने कोसागुमडा में जेएमएफसी न्यायालय के लिए तीन एकड़ भूमि का अधिग्रहण भी किया, पर न जाने कोसागुमडा में जेएमएफसी कोर्ट पर किसकी नजर लग गई, जून 2024 में ओडिशा सरकार ने जारी नोटिफिकेशन में कोसागुमडा में जेएमआरसी कोर्ट को खारिज कर कोड़ेंगा में खोलने का प्रस्ताव दिया है, जिसने आग में घी डालने का काम किया है। यहां के लोगों ने 7 अगस्त को कलेक्टर, एसपी के माध्यम से शासन प्रशासन को लिखित में अल्टीमेटम देकर आजादी के जश्न के एक दिन पहले क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दिया और 20 अगस्त से इमरजेंसी मेडिकल सेवाओं को छोड़ कर सब कुछ बंद वह भी ऐसा की सड़क पर साइकिल का चलना भी मुश्किल हो गया है। रोजाना पांच हजार से ज्यादा लोग समेत सरकारी हुक्मरान और 18 संघ संगठन इस मांग को अपना समर्थन दे रहे हैं। यहां के लोगों के लिए ऐसा आंदोलन कोई बडी बात नहीं है, हमेशा से कोसागुमडा को उपेक्षित होना पड़ता है जो सौ से ज्यादा गांवो का ब्लाक मुख्यालय है। इस ब्लाक मुख्यालय में इससे पहले भी किसी एक राष्ट्रीय बैंक की स्थापना के लिए भी लोगों को ऐसा ही कुछ कदम उठाने को विवश होना पड़ा था, बहरहाल यहां नवगठित बिजेपी के डबल इंजन की सरकार की जबरदस्त किरकिरी हो रही है। लोगों के समझ मे यह नहीं आ रहा है कि नई सरकार बनते ही उसके नीयत में खोट कहा से आ गया, जबकि भारत सरकार न्याय विभाग का भी स्पस्ट निर्देश है कि जेएमएफसी कोर्ट की स्थापना जिले के ब्लाक मुख्यालय में हो।

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