एक साइकिल, एक सपना, और अखंड भारत का गांव-गांव संदेशवाहक – यश सोनी"

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राजनांदगांव की धरती ने एक ऐसा प्रेरणास्त्रोत युवा जन्मा है, जिसने समाज सेवा को अपना धर्म बना लिया है – यश सोनी। आज जब लोग बड़े-बड़े संसाधनों के बिना कुछ न कर पाने की बात करते हैं, वहीं यश सोनी एक साइकिल के सहारे गांव-गांव जाकर समाज को बदलने एवं पुरानी पद्धति को साथ लिए हुए एक अलग ही दिशा की ओर बढ़ चुका है।



रिपोर्टर सादाब अंसारी 


स्वच्छता से लेकर वृक्षारोपण तक – प्रकृति के सच्चे सेवक

यश सोनी का प्रमुख उद्देश्य है – स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत। गांवों में जाकर वे लोगों को स्वच्छता के महत्व को समझाते हैं। उनका कहना है, “बरसात से पहले सड़क, नाली, तालाब साफ कर लिए जाएं तो गंदगी नहीं फैलेगी और जल संचयन भी अच्छा होगा।” 

पिछले वर्ष उन्होंने अकेले 11,000 पेड़ लगाकर एक मिसाल कायम की, जिनमें से 8,000 पेड़ आज भी जीवित हैं। इस वर्ष उनका लक्ष्य है – 50,000 पेड़ लगाना। वन विभाग के सहयोग एवं तालमेल के साथ यश स्वयं गड्ढा खोदकर लोगों को जिम्मेदारी सौंपते हैं – ताकि सिर्फ पौधा नहीं, एक सोच बोई जाए।


"गांव-गांव में शांति और समझौते का संदेश" साइकिलिस्ट यश सोनी का एक और विशेष अभियान है – विवाद मुक्त गांव। घर-घर जाकर वे पति-पत्नी, परिवारों में हो रहे मतभेदों को सुलझाने में मदद करते हैं। उनका सीधा संदेश है:

"समस्या का हल बाहर नहीं, चारदीवारी के भीतर है। बस एक-दूसरे को सुनिए और समझने की कोशिश कीजिए इस धरती पर मूकबाधि जीव जंतु से लेकर हम इंसानों तक सभी को स्वतंत्रता से जीने रहने का अधिकार है प्रत्येक जीव जंतु व नागरिक मूल्यवान है हमें एक दूसरे को समझना है और सम्मान देना है


🚭 महिलाओं में नशा मुक्ति – एक सामाजिक क्रांति

यश सोनी का मानना है कि यदि महिलाएं गुड़ाकू व मंजन शराब, गुटका पान मसाला जैसे जहर से घटक नशीले पदार्थों को त्याग दें, तो वे सच्चे अर्थों में देश की लक्ष्मी कहलाएंगी। उनका ये संदेश गांव की महिलाओं में जागरूकता फैला रहा है और अनेक परिवार अब इस दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं।


"लोगों के दिलों में यश – गांव के भगवान व क्रांतिकारी जवान बेटे

यश सोनी की लोकप्रियता इतनी है कि गांव में सूचना मिलते ही या फिर उनके गांव में पहुंचने से पहले ही लोग इकट्ठा हो जाते हैं। कई जगह उन्हें सादगी से बोरेबासी परोसा जाता है, और वे उसे प्रेम से स्वीकारते हैं। अब गांव वाले उन्हें अपने परिवार का सदस्य मानते हैं –  सुख का तो पता नहीं लेकिन दुख की घड़ी में सूचना मिलते ही सारा काम छोड़कर श्री सोनी गांव वालों के लिए मौजूद हो जाते हैं।


🛑 सिस्टम से नहीं, संकल्प से जुड़ा बदलाव

आज भी यश सोनी को शासन से कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिल पा रहा है, लेकिन पुलिस प्रशासन का पूर्ण समर्थन उन्हें प्राप्त है। बावजूद इसके, वे बिना रुके अपने मिशन में जुटे हुए हैं – “अकेला चल पड़ा हूं, और अकेला ही काफी हूं" लेकिन भरोसा है कि कारवां बन जाएगा।”

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